Umar General जानिए कोटा डीएसपी लोकेंद्र पालीवाल ने जाँच के बारे में क्या कहा…..
कोटा विकास प्राधिकरण (केडीए) ने एक सप्ताह पहले कोटा स्थित मेसर्स अराफात पेट्रो केमिकल प्राइवेट लिमिटेड -जनरल ग्रुप (जेके फैक्ट्री) की 227 एकड़ ज़मीन पर कब्ज़ा करने, उद्योग न चलाने, श्रमिकों को वेतन न देने और ज़मीन के लीज़ डीड की शर्तों का पालन न करने के आरोप में बड़ी कार्रवाई की थी।
जानकारी के अनुसार, राजस्थान की भजनलाल सरकार के निर्देश पर कोटा प्रशासन ने जेके फैक्ट्री की सभी 7 लीज़ रद्द कर दिए थे। साथ ही, फैक्ट्री प्रबंधन से कब्ज़ा खाली कराकर कोटा विकास प्राधिकरण को सौंप दिया गया था।
इसके बाद एक और मामला सामने आया है जिसमें अराफात ग्रुप के मालिक, प्रबंधन और अधिकारियों पर 387 करोड़ रुपये की मशीनरी तोड़ने का आरोप लगा है। पंचम कोटा के डीएसपी लोकेंद्र पालीवाल का कहना है कि शिकायतकर्ता इंद्रमल जैन की शिकायत पर मशीनरी नष्ट करने के आरोप में अराफात ग्रुप के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मामले की जाँच उद्योग नगर थाने के डीएसपी लोकेंद्र पालीवाल कर रहे हैं।
कोटा के डीएसपी लोकेंद्र पालीवाल ने “सत्य डे” से टेलिफोन पर बात करते हुए बताया कि हमें इंद्रमल जैन की शिकायत मिली है और भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने सरकार और कोटा विकास प्राधिकरण से पूरी फैक्ट्री का रिकॉर्ड मांगा है। सरकार और प्रशासन द्वारा फैक्ट्री और मशीनरी का रिकॉर्ड उपलब्ध करा दिया जाएगा, जिसके बाद पूरे मामले की गहन जाँच कर कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले में कंपनी के निदेशकों सूरत के व्यवसायी मोहम्मद उमर जनरल, मोहम्मद यूसुफ मोहम्मद सफी लीलमवाला और मोहम्मद जुनैद जनरल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मामले में अन्य आरोपी फैक्ट्री के शेयरधारक और अधिकारी हैं। यह शिकायत कोटा के इंदिरा गांधी नगर निवासी और शिकायतकर्ता इंद्रमल जैन ने दर्ज कराई है।
इंद्रमल जैन का कहना है कि लीज निरस्त होने के बाद केडीए ने जमीन पर कब्जा ले लिया था, लेकिन बाद में पता चला कि अराफात पेट्रोकेमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड के पास जमीन और भवन का स्वामित्व है, लेकिन उसके निदेशकों, अधिकारियों और शेयरधारकों ने गुपचुप तरीके से करीब 387 करोड़ रुपये कीमत का प्लांट और मशीनरी बेच दी है। इस मामले में कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।
राजस्थान सरकार ने हाल ही में अतिरिक्त जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी, जिसमें लाडपुरा एसडीएम, जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक, रीको के उप महाप्रबंधक, संयुक्त श्रम आयुक्त शामिल थे। फैक्ट्री प्रबंधन इस समिति को उद्योग संचालन से संबंधित कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा सका। समिति ने माना कि प्रबंधन ने मशीनरी को नष्ट कर दिया है। लीज डीड की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने जनहित में इसे अपने कब्जे में लेना उचित समझा।